भारत गर्मी से तप रहा है, देश के अधिकतर हिस्से भयंकर गर्मी की चपेट में हैं और तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पहुंच चुका है. उत्तरी भारत में लगभग पूरे जून में मौसम में गर्मी बने रहने का अनुमान है. तो क्या हमें राहत के लिए सूर्य देव से प्रार्थना करनी चाहिए? शायद नहीं क्योंकि मॉनसून का आगमन लगभग पूरी तरह से भारतीय भूभाग पर निर्भर करता है, जो कि पूरी तरह से तप रहा है. वहीं अगर मानव शरीर को लगने वाली गर्मी की बात की जाए, तो इससे निपटा जा सकता है. गर्मी का विज्ञान,शरीर द्वारा गर्मी के नियंत्रण की प्रणालियां, आग उगलते सूर्य और मॉनसून के साथ इसका रिश्ता, ये सभी एक बेहद जटिल प्राकृतिक प्रक्रिया का हिस्सा हैं.
गर्मी में ऐसे काम करता है शरीरः
इंसान का शरीर एक बेहद जादुई किस्म की जीवित मशीन है. इसने अपने आप को कुछ इस तरह से ढाला है कि शरीर का तापमान 37 डिग्री सेल्सियस या 98.6डिग्री फारनहाइट होने पर यह अच्छी तरह काम कर सकता है. इस तापमान पर शरीर की कार्यप्रणाली को नियंत्रित करने वाले एंजाइम उत्कृष्टता के साथ काम करते हैं.
इंसान का शरीर एक बेहद जादुई किस्म की जीवित मशीन है. इसने अपने आप को कुछ इस तरह से ढाला है कि शरीर का तापमान 37 डिग्री सेल्सियस या 98.6डिग्री फारनहाइट होने पर यह अच्छी तरह काम कर सकता है. इस तापमान पर शरीर की कार्यप्रणाली को नियंत्रित करने वाले एंजाइम उत्कृष्टता के साथ काम करते हैं.
…और इसलिए हो जाती है मौतः
दुर्भाग्यवश शरीर द्वारा गर्मी सह सकने का स्तर काफी कम है. इसका तापमान यदि इसके मूल ताप से एक डिग्री सेल्सियस भी बढ़ जाता है तो इसे परेशानी होने लगती है. इंसान हर मौसम में रह सकने वाला प्राणी है और इसके लिए खून का गर्म होना एक जरूरी चीज है. हालांकि खून को गर्म रखने के लिए बड़ी कीमत अदा करनी पड़ती है. मानव शरीर की यह मशीन खुद को गर्म रखने के लिए बहुत सी ऊर्जा लेती है. वहीं, इंसान बाहरी मदद के बिना अत्यधिक तापमान को बर्दाश्त नहीं कर सकता और नतीजा यह होता है कि गर्मी के प्रकोप से बडी संख्या में लोग मारे जाते हैं. मानव शरीर का मूल तापमान दरअसल शरीर के अंदर का तापमान होता है और इसे मुंह में थर्मामीटर लगाकर मापा जाता है. आमतौर पर यह तापमान 37 डिग्री सेल्सियस रहता है. वहीं हाथ की त्वचा का तापमान अपेक्षाकृत कम यानी लगभग 33 डिग्री सेल्सियस रहता है. तो शरीर के अंदर से त्वचा तक एक तरह का उष्मा क्षरण होता है और यह शरीर का ठंडा रहना सुनिश्चित करता है.
हमें ऐसे लगती है ठंड और गर्मीः
जब आसपास का तापमान लगभग 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचता है, तो एक विपरीत प्रक्रिया शुरू हो जाती है और शरीर ऊष्मा को एकत्र करना शुरू कर देता है. फिर भी प्रकृति ने मानव शरीर की त्वचा से होकर जाने वाली पसीने वाली ग्रंथियों के जरिए एक ऐसी प्रभावी शीतक प्रणाली बनाई है. जब शरीर गर्म होने लगता है तो शरीर से पसीना निकलने लगता है. जब जल वाष्पित होता है तो शरीर ठंडा होने लगता है. यह भौतिकी के उसी मूल सिद्धांत के अनुरूप है, जो कि मिट्टी के घड़ों में पानी को ठंडा रखता है. दिमाग में है गर्मी का कंट्रोलरः शरीर में आंतरिक गर्मी को नियंत्रण करने वाली प्रणाली मुख्यत: मटर के आकार के हाइपोथैल्मस द्वारा नियंत्रित की जाती है. हाइपोथैल्मस मस्तिष्क में होता है. यह शरीर की ताप नियत प्रणाली है. यह नसों से फीडबैक तो लेता ही है, साथ ही इसके अपने भी गर्मी संसूचक होते हैं. ये शरीर में गर्मी का प्रबंधन करते हैं. यदि शरीर को सर्दी लगती है तो हाइपोथैल्मस कंपकंपी शुरू करने का संकेत भेजता है. मांसपेशियां इस प्रक्रिया में फड़कनी शुरू हो जाती हैं, जिससे गर्मी पैदा होती है. यदि शरीर को गर्मी लगती है तो त्वचा के पास रक्त नलिकाओं को फैलने का संकेत भेजा जाता है, ताकि ज्यादा खून सतह तक पहुंच सके. इसके बाद पसीने के जरिए गर्मी निकलेगी. यह इंसानों के लिए एक तरह का प्राकृतिक वातानुकूलन है. गर्मी के संपर्क में जरूरत से ज्यादा आ जाने के शुरुआती संकेतों में सिरदर्द शामिल है. यदि इसपर गौर नहीं किया जाता तो एक तरह की बेचैनी अंदर बैठ जाती है. इसके बाद चक्कर और उबकाई आने लगते हैं. अगर इस पर भी ध्यान नहीं दिया जाता तो मरोड़ भी उठ सकते हैं. इसके बाद भी यदि गर्मी के संपर्क में बने रहते हैं तो बेहोशी भी आ सकती है.
ऐसे लगती है लूः
यदि शरीर का मूल तापमान 40 डिग्री सेल्सियस पहुंच जाने के बाद भी कोई व्यक्ति बिना रुके बेहद गर्म स्थितियों में काम करता रहता है तो उसे लू लग जाती है और यह आमतौर पर एक घातक स्थिति होती है. लू लग जाने के बाद शरीर से पसीना आना बंद हो जाता है और तब सिर्फ आपात उपचार ही एकमात्र हल रह जाता है.
ऐसे बचें लू सेः
लू से बचने के लिए कुछ आसान उपाय करने चाहिए. जैसे कि सुबह 11 बजे से दोपहर चार बजे तक गर्मी के संपर्क में आने से बचें. दोपहर को आराम करना अच्छा रहेगा.
(रिपोर्ट: मधेपुरा:- गरिमा उर्विशा)लू से बचने के लिए कुछ आसान उपाय करने चाहिए. जैसे कि सुबह 11 बजे से दोपहर चार बजे तक गर्मी के संपर्क में आने से बचें. दोपहर को आराम करना अच्छा रहेगा.